भारत प्रोबा-3 लॉन्च करेगा: सूर्य के कोरोना के लिये एक मिशन
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
07-Nov-2024
चर्चा में क्यों?
भारत अगले महीने श्रीहरि कोटा अंतरिक्ष स्टेशन से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्रोबा-3 मिशन को लॉन्च करने के लिये तैयार है। यह महत्त्वपूर्ण घटना वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती भूमिका और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
प्रोबा-3 मिशन के बारे में
- यह ESA का पहला मिशन है जो सटीक उड़ान पर केंद्रित है।
- इसमें दो उपग्रह शामिल हैं : एक कोरोनाग्राफ और एक ऑकुल्टर।
- मिशन का ऑकुल्टर उपग्रह: कोरोनाग्राफ उपग्रह की दूरबीन पर एक सटीक छाया डालेगा, जो सूर्य के तीव्र प्रकाश को अवरुद्ध करेगा।
- उपग्रह, कोरोनाग्राफ: यह दृश्य, पराबैंगनी और ध्रुवीकृत प्रकाश में सूर्य के कोरोना का निरीक्षण करेगा।
- उद्देश्य:
- सूर्य के कोरोना और पृथ्वी पर उसके प्रभाव का अध्ययन करना।
- मिशन का उद्देश्य कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की समझ को गहरा करना भी है, जो पृथ्वी के उपग्रहों और ऊर्जा प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है।
- इससे कोरोनाग्राफ को दृश्यमान, UV और ध्रुवीकृत प्रकाश में सूर्य के धुंधले कोरोना की विस्तारित, विस्तृत छवियों को कैप्चर करने की अनुमति मिलती है।
- यह सौर ऊर्जा में भिन्नताओं का अध्ययन करने के लिये सूर्य की कुल सौर विकिरण की भी निगरानी करेगा जो पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित कर सकती है।
सूर्य का कोरोना क्या है?
- यह वायुमंडल की सबसे बाहरी परत है। यह प्लाज्मा का एक गर्म, लेकिन अपेक्षाकृत मंद क्षेत्र है जो अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर तक फैला हुआ है।
सूर्य के कोरोना के बारे में मुख्य बातें:
- अत्यधिक गर्म: सूर्य के केंद्र से दूर होने के बावजूद, कोरोना सूर्य की सतह से काफी गर्म है।
- सूर्यग्रहण के दौरान दृश्यता: कोरोना प्रायः सूर्य के तेज प्रकाश के कारण अस्पष्ट हो जाता है, लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान यह दिखाई देने लगता है।
- सौर वायु का स्रोत: सौर वायु, आवेशित कणों की एक धारा, कोरोना से उत्पन्न होती है।
- पृथ्वी के अंतरिक्ष पर्यावरण को प्रभावित करता है: कोरोनाल मास इजेक्शन सहित सौर गतिविधि, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है और संचार प्रणालियों को बाधित कर सकती है।